अतिरिक्त >> स्नेह वर्षा स्नेह वर्षासुनील गंगोपाध्याय
|
1 पाठकों को प्रिय 385 पाठक हैं |
स्नेह वर्षा पुस्तक का आई पैड संस्करण
आई पैड संस्करण
शांतनु ने जयश्री पर अपरिमित स्नेह–वर्षा की, लेकिन उसे कहीं से एक बूँद स्नेह का भी प्रतिदान नहीं मिला। और जब जयश्री स्नेह–वर्षा से पूरी तरह भींग गई, तब भी शांतनु का जीवन मरुस्थल ही बना रहा...तब शांतनु ने स्नेह की धारा को अनुराधा की ओर मोड़ना चाहा, पर अनुराधा भी उसके प्रति निरुत्तर ही बनी रही। स्नेह का दान देकर भी शांतनु को कहीं से बदले में ठण्डी–वायु का एक झोंका भी नहीं मिला, लेकिन वह निराश नहीं हुआ। उसने आशा नहीं खोई। उसे विश्वास था–मिलेगा...सब मिलेगा। इस आधुनिक प्रणय–कथा के भीतर एक अन्तर्कथा सतत प्रवाहित होती रहती है, वही है आज के मानव की करुणा, विषाद, घुटन और बेचैनी जिससे वह हर क्षण द्वन्द करता रहता है। इसी द्वन्द्व का नाम है जीवन। आधुनिक युग का जीवन। पूरी कथा पढ़ लेने के बाद भी मन अतृप्त और अशान्त रहता है...यही अतृप्ति और अशान्ति इस युग का सत्य है।
इस पुस्तक के कुछ पृष्ठ यहाँ देखें।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book